जेनेटिक स्क्रीनिंग की मदद से आईवीएफ में डिसऑर्डर का खतरा कम - डा. नीलम बनर्जी

जेनेटिक स्क्रीनिंग की मदद से आईवीएफ में डिसऑर्डर का खतरा कम - डा. नीलम

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन ( IVF) हमेशा से इनफर्टिलिटी का सामना कर रहे दंपतियों के लिए उम्मीद की किरण रही है। इस चिकित्सा प्रक्रिया में अंडों और स्पर्म को शरीर के बाहर लैब में मिलाया जाता है। ताकि एम्ब्य बनाए जा सकें, जिन्हें फिर यूटरस में ट्रांसप्लांट किया जाता है। हाल ही में, आईवीएफ के क्षेत्र में कई नए सुधार हुए हैं, जो सफलता दर को बढ़ाने, खर्च को कम करने और प्रक्रिया को अधिक उपलब्ध और कम दर्दनाक बनाने का वादा करते हैं।

डॉ. नीलम बनर्जी, वरिष्ठ सलाहकार और प्रमुख - आईवीएफ, एडवांस्ड गायनी - लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जन, यथार्थ अस्पताल, ग्रेटर नोएडा, कहती हैं, आईवीएफ में हाल ही में हुए नए बदलावों ने इस प्रक्रिया को बहुत आसान और असरदार बना दिया है। नई जेनेटिक स्क्रीनिंग और नॉन- इनवेसिव टेस्टिंग अब हमें स्वस्थ एम्ब्यों को चुनने में मदद करती हैं। यह हमारे मरीजों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। नई जेनेटिक स्क्रीनिंग तकनीक अब एम्ब्यों में जेनेटिक डिफेक्ट को अधिक सटीकता से पता लगाने में मदद कर रही है। इससे केवल सबसे स्वस्थ एम्ब्यिों का चयन किया जाता है, जिससे सफल प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ जाती है और जेनेटिक डिसऑर्डर का खतरा कम हो जाता है।


नॉन-इनवेसिव टेस्टिंग भी आईवीएफ में एक बड़ा परिवर्तन ला रहे हैं। नई तकनीकों की मदद से अब एम्ब्य डीएनए का विश्लेषण किया जा सकता है, जिससे बायोप्सी की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। यह तकनीक, एम्बयिों पर तनाव कम करती है, जिससे प्रेगनेंसी की सफलता दर बढ़ जाती है।


ओवेरियन स्टिमुलेशन प्रोटोकॉल में भी सुधार हो रहा है। हल्के स्टिमुलेशन प्रोटोकॉल जो कम मात्रा में दवाओं का उपयोग करते हैं, अब साधारण प्रोटोकॉल के समान सफलता दर प्राप्त कर रहे हैं। इससे ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम (OHSS) का जोखिम कम हो जाता है और प्रक्रिया अधिक मरीज अनुकूल हो जाती है। नए क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक, जैसे कि विट्रीफिकेशन, अब अंडों और एम्ब्यिों के जीवित रहने की दर को बढ़ा रही हैं।

यह तकनीक अब बहुत विश्वसनीय हो गई हैं, जिससे मरीजों को अधिक विकल्प मिलता है। जमे हुए एम्ब्यिों का ट्रांसफर अब अधिक लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि इसकी सफलता दर और सुविधा ज्यादा है। शहरी भारत में, जहां तनाव, पर्यावरण, जीवनशैली में बदलाव और देरी से संतान प्राप्ति के कारण इनफर्टिलिटी की दर बढ़ रही है, इसलिए यह इनोवेशन विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। आईवीएफ क्लीनिक तेजी से इन नई तकनीकों को अपना रहे हैं, जिससे मरीजों को बेहतर परिणाम और अधिक किफायती विकल्प मिल रहे हैं ।


आईवीएफ तकनीक में हो रहे ये इनोवेशन, प्रक्रिया को अधिक प्रभावी, उपलब्ध और मरीज अनुकूल बना रहे हैं। जैसे-जैसे जेनेटिक स्क्रीनिंग, नॉन इनवेसिव टेस्टिंग और बेहतर स्टिमुलेशन प्रोटोकॉल विकसित हो रहे हैं, इनफर्टिलिटी से जूझ रहे दंपतियों के लिए संतान का सपना एक वास्तविकता बनता जा रहा है।

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