छाती की मेजर सर्जरी कर ट्यूमर निकालने में सफलता हासिल की

छाती की मेजर सर्जरी कर ट्यूमर निकालने में सफलता हासिल की


समय रहते सही इलाज मिल जाने पर गम्भीर से गम्भीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को बचाया जा सकता है. कुछ ऐसा ही मामला देहरादून के रहने वाले 44 वर्षीय विक्रम सिंह रावत का है. एम्स ऋषिकेश के अनुभवी थोरेसिक सर्जन ने न केवल विक्रम की छाती की मेजर सर्जरी कर ट्यूमर निकालने में सफलता हासिल की, बल्कि रोगी को नया जीवन भी प्रदान किया.

देहरादून के रहने वाले विक्रम सिंह को जुलाई 2023 में छाती में दर्द की समस्या शुरू हुई. लगभग एक साल से वह इस दर्द से परेशान थे. आस-पास के अलावा वह राज्य के कई बड़े अस्पतालों में इलाज के लिए गए. लेकिन,  थोरेसिक सर्जन उपलब्ध न होने की वजह से सभी ने हाथ खड़े कर दिए. तब जाकर विक्रम अन्तिम उम्मीद लेकर ऋषिकेश एम्स पहुंचे. पिछले महीने एम्स पहुंचने पर विक्रम ने सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों को अपनी समस्या बताई. सीटी स्कैन कराने पर डॉक्टरों ने जब रिपोर्ट देखी तो पता चला कि मरीज के बाएं फेफड़े में एक विशालकाय ट्यूमर बना है, जो उस फेफड़े को पूरी तरह दबाने के साथ-साथ कभी भी दाएं फेफड़े को भी अपनी चपेट में ले सकता था.

एम्स में मिली उम्मीद
एम्स के हृदय छाती एवं रक्त-वाहिनी शल्य चिकित्सा (सी.टी.वी.एस.) विभागाध्यक्ष डॉ. अंशुमान दरबारी ने बताया कि हाई रिस्क में होने के बाद भी ट्यूमर निकालने के लिए ओपन सर्जरी करने का निर्णय लिया गया. डॉ दरबारी ने बताया कि उनकी कुशल टीम ने सर्जरी द्वारा मरीज की छाती खोलकर एक ही बार में पूरा ट्यूमर निकाल दिया.

3 किलो से ज्यादा का निकला ट्यूमर
सर्जरी करने वाली टीम में डॉक्टर दरबारी के अलावा सीटीवीएस विभाग के डॉक्टर अविनाश प्रकाश और एनेस्थेसिया विभाग के डॉ. अजय कुमार का विशेष योगदान रहा. ग्रसित मरीज की छाती से निकाला गया ट्यूमर 22×20 सेमी और 3.2 किलोग्राम वजन का है. क्रिटिकल केयर सपोर्ट और बेहतर नर्सिंग देखभाल की वजह से मरीज जल्दी रिकवर होने लगा और अब पूर्णतः स्वस्थ है. उन्होंने बताया कि रोगी का संपूर्ण इलाज राज्य सरकार की गोल्डन कार्ड योजना के तहत सरकारी दरों पर निःशुल्क किया गया है. यह योजना रोगी के लिए वरदान साबित हुई है.

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