वाराणसी : सीएबीजी ऑपरेशन की प्रक्रिया में प्रगति के साथ आज एंडोस्कोपिक वेन हार्वेस्टिंग (ईवीएच) सर्जरी मरीजों के लिए एक सरल और कारगर विकल्प के रूप में सामने आया है।
कोरोनरी आर्टरी डिजीज से ग्रस्त ऐसे मरीज जिनपर कोरोनरी धमनियों के कारण एंजियोप्लास्टी नहीं की जा सकती है, उन्हें कोरोनरी आर्टरी बाइपास सर्जरी (सीएबीजी) की सलाह दी जाती है। सीएबीजी ऑपरेशन के लिए आज भी मरीज के पैरों से नस निकाली जाती है। सीएबीजी के अधिकतर मामलों में एक धमनी (बाईं अंदरूनी मैमरी आर्टरी) और अन्य सभी वीनस ग्राफ्ट का आपरेशन किया जाता है।
साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कार्डियो थोरासिस और वस्कुलर सर्जरी के प्रमुख निदेशक, डॉक्टर रजनीश मल्होत्रा ने बताया कि, “पारंपरिक तरीके से पैरों से नसें निकालने के लिए हमें नस जितना लंबा कट लगाना पड़ता है। उदाहरण, यदि हमें बाइपास ग्राफ्ट के लिए 80 सेंटिमीटर की नस की आवश्यकता है तो उस नस को निकालने के लिए पैर पर 80 सेंटिमीटर का कट लगाया जाएगा। मरीजों को हमेशा लंबे कट, बदसूरती और अत्यधिक दर्द से डर लगता है इसलिए वे पारंपरिक सर्जरी से दूर भागते हैं। यहां तक कि इसमें रिकवरी में भी बहुत ज्यादा समय लगता है। डायबिटीज और मोटापे से ग्रस्त मरीजों में घाव से जुड़ी समस्याओं का खतरा रहता है इसलिए उन्हें अस्पताल में लंबे समय के लिए रहना पड़ता है। यदि डायबिटीज या मोटापे के कारण मरीज को सर्जरी में कोई भी समस्या होती है तो ऐसे में पारंपरिक प्रक्रिया का खर्च बहुत ज्यादा हो जाता है।”
इन समस्याओं से उबरने के लिए विश्वस्तर पर हमारे जैसे बड़े केंद्रों में एक नया विकल्प अपनाया जा रहा है। इस विकल्प को एंडोस्कोपिक वेन हार्वेस्टिंग (ईवीएच) कहते हैं। ईवीएच एक बहुत ही अच्छी तकनीक है, जिसे हमारे केंद्र मैक्स सुपर स्पेशलिटी आस्पताल, साकेत, नई दिल्ली में इस्तेमाल किया जाता है। पारंपरिक सर्जरी की तुलना में इस एडवांस तकनीक के कई फायदे हैं।
डॉक्टर रजनीश मल्होत्रा ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि, “ईवीएच में नस को निकालने के लिए मात्र 1 या 2 सेंटिमीटर का एक कट लगाना पड़ता है। इसमें मिनिमली इनवेसिव उपकरणों और अंदरूनी छवियों के लिए एक टेलीस्कोपिक कैमरे का उपयोग किया जाता है। इसकी मदद से मरीज को कम परेशानी होती है और तेजी से रिकवर भी करता है। पैर पर छोटा कट लगने के कारण खून बहुत कम बहता है। ईवीएच की मदद से सीएबीजी के लिए किसी भी लंबाई की नस को छोटे से चीरे से निकाला जा सकता है। इसलिए इस नई तकनीक की मदद से घाव से संबंधित समस्याओं का खतरा न के बराबर होता है, आईसीयू में कम रहना पड़ता है और अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है। ईवीएच की मदद से पैर सर्जरी के बाद भी खराब नहीं दिखता है और न ही दर्द महसूस होता है। कम शब्दों में कहें तो ईवीएच में छोटा कट, बेहतर गुणवत्ता की नसें, घाव की कोई परेशानी नहीं, न के बराबर दर्द, तेज रिकवरी, और बहुत अच्छी कॉस्मेटिक अपियरेंस आदि फायदे हैं।”
बाईपास सर्जरी के लिए ईवीएच दुनिया भर के कई केंद्रों में इस्तेमाल की जा रही है। हालांकि, ईवीएच के उपकरण थोड़े मंहगे होते हैं, इसलिए इसकी सर्जरी भी थोड़ी मंहगी होती है। लेकिन एंडोस्कोपिक वेन हार्वेस्टिंग के फायदे इसके खर्च को अच्छे से अदा करते हैं।
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