एजुकेशन लीडर कनफ्लुएंस 2020 (ईएलसी-20) की ‘दी प्रिंसिपल राउंड टेबल’ सीरिज़ को जारी रखते हुए, प्रथम टेस्ट प्रेप ने अपने कनफ्लुएंस के अगले सत्र को सफलतापूर्वक संचालित किया। इस सत्र में एक बहुत ही खास मुद्दे यानी कि ‘बदलती शिक्षा प्रणाली में प्रार्थमिक स्कूल के छात्रों के लिए चुनौतियां’ पर चर्चा की गई।
शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी, प्रथम टेस्ट प्रेप द्वारा आयोजित कनफ्लुएंस, समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करता है और मध्य विद्यालय के बच्चों को शुरुआत से ही एप्टीट्यूड निर्माण का महत्व समझाने के लिए शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव भी किया है।
ईएलसी 2020 बातों और चर्चा की एक कड़ी है, जिहां एक्सपर्ट्स एजुकेशन सेक्टर में उपलब्ध चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करते हैं। हालांकि, प्रार्थमिक शिक्षा में स्कूलिंग और प्रवेश के मामले में भारत ने बहुत सुधार किया है, लेकिन इस महामारी ने विशेषकर भारत के एजुकेशन सिस्टम के आगे नई चुनौतियों का ढ़ेर लगा दिया है, जहां हम अभी भी सीखने और सुधारने की प्रक्रिया में हैं। सीखने का निम्न स्तर राज्य और केंद्र सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है।
ईएलसी20 के चौथे सत्र का उद्देश्य एक्सपर्ट्स को साथ लाना और एजुकेशन सिस्टम के विभिन्न पहलुओं व समाज को ऊपर उठाने की जरूरत पर प्रकाश डालना है। इस चर्चा में प्रख्यात पैनलिस्ट मौजूद थे जिसमें डॉक्टर नरजीत कौर, हेड मिस्ट्रेस, गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूल, दिल्ली, श्रीमती सुषमा राजकुमार, एचओडी, सिटी मोंटेसरी स्कूल, लखनऊ और सुश्री रितिका आनंद, वाइस प्रिंसिपल, सेंट मार्क सीनियर सेकेंड्री पब्लिक स्कूल, दिल्ली शामिल रहीं।
प्रथम टेस्ट प्रेप के मैनेजिंग डायरेक्टर, अंकित कपूर ने बताया कि, “कोविड19 ने हमें अधिक सशक्त और मानवीय आबादी बनाने के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान किया है। भारत की शिक्षा प्रणाली में महामारी के कारण एक बड़ा बदलाव आया है। शिक्षकों को शिक्षा का पुराना तरीका छोड़कर ई-लर्निंग को अपनाना पड़ा। शुरुआत में शिक्षकों को परेशानी हुई लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने क्लास को अधिक मनोरंजक बनाने के लिए कई नए तरीके अपनाए।
भारत में, छात्र-शिक्षक रेशियो, इंफ्रास्ट्रक्चर, टीचरों की ट्रेनिंग की कमी आदि संबंधित कई चुनौतियाँ हैं। भारत की सरकार को शिक्षकों की ट्रेनिंग के लिए नए तरीकों के बारे में सोचने की आवश्यकता है क्योंकि इसी की मदद से छात्रों को समग्र विकास प्रदान किया जा सकता है।
दिल्ली स्थित गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूल की हेड मिस्ट्रेस, डॉक्टर नरजीत कौर ने बताया कि, “शिक्षा एक ऐसी प्रणाली है, जो हमारे व्यक्तित्व में सीख, ज्ञान और कौशल को जोड़ता है। महामारी के कठिन वक्त के दौरान, नई टेक्नोलॉजी की मदद से शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आया है। सस्ते इंटरनेट की मदद से छात्र दुनिया के किसी भी कोने में शिक्षा प्राप्त कर सकता है और सामान्य कक्षा के तरीके ने छात्रों को घर बैठे स्कूल जैसा महौल दिया है।
शिक्षा क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शिक्षकों के पढ़ाने का तरीका और छात्रों के सीखने के तरीके को पूरी तरह बदल देगा। लेकिन इस प्रक्रिया में छात्रों के बीच शिक्षकों की जरूरत कभी खत्म नहीं होगी। गुरु द्रोणा के तरकश में अनगिनत तीर होने के साथ उनके पास अविनाशी तलवार थी। उसी प्रकार से आज के गुरुओं के पास तीर के स्थान पर टेक्नोलॉजी उपलब्ध है, जो किसी अपराजेय तलवार से कम नहीं है।
दिल्ली स्थित सेंट मार्क सीनियर सेकेंड्री स्कूल की वाइस प्रिंसिपल, सुश्री रितिका आनंद ने कहा कि, “शिक्षण के पुराने तरीके जल्द ही खत्म हो जाएंगे और वास्तविक जीवन से सीखने के अवसरों की पेशकश होगी, जो कक्षा में पढ़ाई जाने वाली चीजों और वास्तविक जीवन की ज़रूरतों को खत्म करेगा। पुराना तरीका पूरी तरह बदल जाएगा। टेक्नोलॉजी शिक्षा के तरीके को बदल सकती है लेकिन शिक्षकों का स्थान नहीं ले सकती है।
शानदार कंटेन्ट के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, कनफ्लुएंस ने अच्छी शिक्षा और सीखने के संसाधन के रूप में नए और विभिन्न प्रकार के कंटेन्ट पर भी जोर दिया। हालांकि, यह ग्रामीण क्षेत्रों के कुछ स्कूलों के लिए मुश्किल हो सकता है, लेकिन सामग्री की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
लखनऊ स्थित सिटी मोंटेसरी स्कूल की एचओडी श्रीमती सुषमा राजकुमार ने बताया कि, “2020 एक ऐसा साल रहा है, जिसमें शिक्षक और शिक्षण बेहतर रूप में नज़र आए। तरीकों, रवैये और रिश्तों में बड़ा लाभ हुआ है। चूंकि, अब स्कूलों में फिर से वापसी होने वाली है, मैं यही उम्मीद करती हूँ कि यह सकारात्मकता हमेशा बनी रहे और स्कूलों और शिक्षकों द्वारा दी जा रहीं सेवाओं के लिए उन्हें हमेशा सराहा जाए।”
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