भारत में हृदय रोगियों की संख्या में हाल ही के कुछ वर्षों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। भारतीय चिकित्सकों के लिये यह एक गंभीर मुद्दा इसलिये भी है क्योंकि एंजाइना और अन्य हृदय रोगों के उपचार के लिये भारत में उपयोग की जाने वाली शल्य चिकित्सा काफी महंगी हैं तथा रोगी के शत प्रतिशत स्वस्थ होने की कोई गारंटी भी नहीं देती। सिबिया मेडिकल सेंटर के निदेशक एस.एस.सीबिया का कहना है कि बहरहाल दुनिया भर के हृदय रोगियों के लिये पिछले कुछ समय से विकसित की गई ई सी पी (एक्सटर्नल काउंटर पल्सेशन) और ए.सी. टी ( आर्टरी कीलेशन थैरेपी ) नामक गैर शल्य चिकित्सा पद्धति एक वरदान साबित हो रही है।
ई सी पी हृदय रोगों के उपचार की एक सहज, कम खर्चीली और प्रभावशाली पद्धति है। क्लीनिकली तौर पर परखी गई इस पद्धति में न तो रोगी के शरीर में कोई चीर फाड़ की जाती है और न ही उसे अस्पताल में दाखिल किये जाने की कोई आवश्यकता होती है। ई सी पी द्वारा धमनियांे में होने वाली रुकावट को आसानी से दूर किया जा सकता है। धमनियों से अवरोध हटते ही हृदय और शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। ई सी पी मूलतः उस सिद्धांत पर काम करती है जो कि यह सिद्ध करता है कि दिल के धड़कने की प्रक्रिया पर पड़ने वाले दबाव को कम करके दिल के दौरों को रोका जा सकता है।
रक्त की धमनियों में कोलेस्ट्राल व कैल्शियम की कमी के जमाव के कारण होते हैं। इसके अलावा लैड (सीसा) एवं मरकरी (पारा) जैसी भारी धातुओं (हैवी मैटलेज) के जमाव के कारण भी खून में प्रदूषण बढ़ जाता है, जिससे विभिन्न प्रकार के हृदय रोग जन्म लेते हैं।
डा. एस.एस. सिबिया ने बताया कि वास्तव में आर्टरी किलेशन थैरेपी, एक प्रकार की शुद्धिकरण चिकित्सा है। वास्तव में रक्त में दवा के जाने पर रक्त के विषैले पदार्थ एवं अतिरिक्त धातुएं उससे बांड (संयुक्त) हो जाते हैं एवं मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाते हैं। उसके साथ ही खान-पान में कुछ सुधार एवं जीवन शैली में परिवर्तन से हृदय रोगों को काबू में रखा जा सकता है। यदि हृदय रोगी लगातार प्रकृति के स्वाभाविक और नैसर्गिक वातावरण में रहने की आदत डालें और शाकाहारी व्यंजनों को इस्तेमाल करें तो इन तकलीफों का स्थायी निदान हो सकता हैै। भोजन में कम तेल और वसा का सेवन करने तथा सुबह-शाम योग, ध्यान और सहज व्यायाम करने से बहुत लाभ मिलता है।
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