पॉलिमेरिक दंत प्रत्यारोपण से युवा क्रिकेटर ने वापस पाई अपनी मुस्कुराहट दंत विज्ञान में प्रगति से दांत की बीमारियों से पीड़ित रोगियों में जगी अधिक उम्मीद

पॉलिमेरिक दंत प्रत्यारोपण से युवा क्रिकेटर ने वापस पाई अपनी मुस्कुराहट दंत विज्ञान में प्रगति से दांत की बीमारियों से पीड़ित रोगियों में जगी अधिक उम्मीद 

नई दिल्ली: दाँत की बीमारी के इलाज में हो रही प्रगति के साथ- साथ, दंत प्रत्यारोपण में भी लगातार विकास हो रहा है। अब दंत प्रत्यारोपण की बेहतर डिजाइन और हड्डी ग्राफिं्टग की विधियों के कारण दंत प्रत्यारोपण तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।  


ग्रीन पार्क डेंटल, नई दिल्ली के निदेषक डाॅ. एस. पी. अग्रवाल ने कहा, “एक 23 वर्शीय युवा क्रिकेटर की चोट लगने से उनके ऊपर के सामने के दो दांत टूट गए थे। जब दंत चिकित्सकों की टीम ने उन्हें आंशिक डेंचर कराने (नकली दांत लगाने) की सलाह दी, तो उन्होंने मना कर दिया और बेहतर समाधान का विकल्प चुना। कुछ लोगों ने उन्हें हमसे मिलने की सलाह दी। जब उन्होंने हमसे मुलाकात की, तो हमने उनसे चिंता नहीं करने को कहा और कहा कि दंत विज्ञान के क्षेत्र हुई प्रगति के कारण अब दंत प्रत्यारोपण संभव है, जो प्राकृतिक दांत की ही तरह लगता है। अत्यधिक विशिष्ट प्रक्रियाओं के माध्यम से पहले उनके जबड़े को पूरी तरह से ठीक किया गया ताकि इम्लांट ठीक से और अच्छी पकड़ के साथ फिट हो सके। उसके बाद उनके जबड़े के साथ ’बायोपिक’ नामक सफेद पोलिमेरिक इंप्लांट लगा दिया गया। अब वह प्राकृतिक दांत की तरह चमक का आनंद ले रहे हैं।“ 


रोगी ने कहा, “मैंने कई दंत चिकित्सकों को दिखाया। उनमंे से अधिकतर ने दांत को स्थायी रूप से भरने की सलाह दी, लेकिन उसके लिए आस-पास के दांतों को घिसने की आवश्यकता होती है जिससे संभवतः वे  कमजोर हो सकते थे। इसलिए मैंने सेकंड ओपिनियन लिया। प्रत्यारोपण सर्जरी उतनी मुश्किल नहीं थी, जितना मैंने सोचा था। पहले, मैं बहुत डर गया था, लेकिन वास्तव में, यह रूट कैनाल या दांत को निकालने की सर्जरी से सरल था। दंत प्रत्यारोपण के छह महीने बाद, अब मैं बहुत ही अच्छा महसूस करता हूं! एक चमत्कार की तरह, पूरी तरह से चेंजओवर। अब मुझे बिल्कुल महसूस नहीं होता कि मेरे दांत टूटे हुए हैं। मैं आसानी से मुस्कुरा सकता हूं और चबा सकता हूं, और मेरा आत्मविष्वास भी बढ़ गया है।’’ 


दांतों के क्षय के कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इससे जबड़े भी प्रभावित होते हैं और अधिक कमजोर हो जाते हैं और खराब होने लगते हैं। शेष दांत टूटे हुए दांत की खाली जगह को भरने के प्रयास में खुद में बदलाव करना शुरू कर देते हैं। सामान्य रूप से चबाना भी मुश्किल हो जाता है और पीड़ित के जबड़े में सूजन आ सकती है और तेज सिरदर्द हो सकता है। जितने अधिक दांत टूटते हैं, शेष दांतों को उतनी ही कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। दांतों पर इस अतिरिक्त बोझ के कारण दांतों का क्षय और टूटना बढ़ जाता है। 


लाखों लोग कई स्थितियों से अपने दांतों की रक्षा करने में विफल रहते हैं और उनके दांतों का नुकसान हो जाता है। इसमें उम्र और लिंग से कोई मतलब नहीं है। दांतों को नुकसान होने के आकस्मिक कारण के अलावा, कुछ बीमारियां और आनुवांशिक विकृतियां सहित कई अन्य कारण भी होते हैं जो काफी अधिक योगदान देते हैं। दांतों को सुरक्षित रखने के लिए रोकथाम सबसे उचित कदम है। नियमित रूप से दंत चिकित्सक से परामर्श लें और प्राकृतिक दांतों के लंबे जीवन के लिए मुंह की समुचित स्वच्छता बनाए रखें।

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