गुरुग्राम:- एक समय मौत का दूत माने जाने वाले ब्रेन ट्यूूमर का उपचार आज रेडियो सर्जरी, कीमोथैरेपी, रेडियेशन थैरेपी के अलावा कंप्यूटर आधारित स्टीरियोटौक्सी एवं रोबेटिक सर्जरी जैसी नवीनतम तकनीकों की बदौलत अत्यंत कारगर, सुरक्षित एवं काफी हद तक कष्ट रहित हो गया है.
ब्रेन ट्यूूमर की पहचान जितनी पहले हो जाए, इलाज उतना ही आसान हो जाता है. ब्रेन ट्यूूमर के लक्षण साधारणत: सीधे उस से संबंधित होते हैं जहां दिमाग के अंदर ट्यूूमर होता है. उदाहरण के लिए मस्तिष्क के पीछे ट्यूूमर के कारण दृष्टि संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है. डा.आदित्य गुप्ता डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस आर्टेमिस हॉस्पिटल, बताते है मस्तिष्क के बाहरी भाग में होने वाले ट्यूूमर के कारण बोलते समय रूकावट आने जैसी समस्या हो सकती है. ट्यूूमर का आकार बढऩे के परिणास्वरूप मस्तिष्क पर बहुत दबाव पड़ता है. इस कारण सिर दर्द, उल्टी आना, जी मचलना, दृष्टि संबंधी समस्याएं या चलने में समस्या, बोलते समय समस्या होना यदि लक्षण हो सकते हैं. कभी-कभी ट्यूूमर की वजह से सिर में पानी इक्टठा होने लगता है जिसको चिकित्सकीय भाषा में हाइड्रोसिफेलस कहते हैं. यह स्थिति मरीज के लिए खतरनाक हो सकती है.
ट्यूमरों के उपचार के विकल्प के रूप में भी किया जाता है जिन्हें या तो मस्तिष्क में उनकी स्थिति के कारण ऑपरेशन द्वारा नहीं निकाला जा सकता या उन मरीजों के लिए, जिनकी खराब मेडिकल कंडीशन आदि के कारण ब्रेन कैंसर सर्जरी नहीं की जा सकती। इस उपचार की सफलता दर 90 प्रतिशत से अधिक हो सकती है अगर उपचार के लिए सही मरीज का चयन किया जाए। साइबर नाइफ की अगली जनरेशन-एम-6 भारत में पहले इस्तेमाल की जाने वाली सर्जरीयो की तुलना में अत्यधिक परिष्कृत है, क्योंकि इसकी कुछ असाधारण विशेषताएं हैं। इसमें रेडिएशन का अधिकतम डोज कईं अलग-अलग कोणों से सीधे ट्यूमर तक पहुंचाया जाता है, इसकी सफलता दर भी काफी अधिक है। इसके साथ ही, गहन उर्जा की उत्सर्जित केंद्रित किरणें कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं और ट्यूमर के विकास को नियंत्रित (ट्यूमर सिकुड़ जाता है) करती हैं।
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